महाराष्ट्र की राजनीति में हर दिन अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं। किसी दिन राजनीतिक दल मराठा आरक्षण को लेकर आमने-सामने आ रहे हैं, तो किसी दिन विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी-अपनी दावेदारी कर रहे हैं। इस कड़ी में महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बड़ा दावा किया है। अनिल देशमुख का कहना है कि भाजपा के कई विधायक शरद पवार-नीत एनसीपी में शामिल होना चाहते हैं। बता दें हाल ही में एनसीपी- अजित गुट के पिंपरी-चिंचवड प्रमुख अजित गव्हाने और दो पूर्व पार्षदों ने पार्टी से इस्तीफा दिया है। जिसका हवाला देते हुए अनिल देशमुख ने कहा कि शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी में पूर्व पार्षदों के शामिल होने की शुरुआत हो चुकी है। बता दें कि अजित गव्हाने ने बुधवार को कहा था वो शरद पवार का आशीर्वाद लेंगे। नागपुर में पत्रकारों से बातचीत में वरिष्ठ एनसीपी (सपा) नेता अनिल देशमुख ने दावा किया कि भाजपा के कुछ विधायक भी उनकी पार्टी का हिस्सा बनने में रुचि रखते हैं, क्योंकि वे सरकार में प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से निराश हैं। उन्होंने कहा, एनसीपी (अजीत पवार के नेतृत्व वाली) के विधायक भी वापस आएंगे। हालांकि, शरद पवार तय करेंगे कि किसे एनसीपी (सपा) में लिया जाएगा।
अजीत पवार बना रहे हैं अपनी पार्टी- अनिल देशमुख
वहीं यह पूछे जाने पर कि क्या अजीत पवार उनमें से एक हैं, इस पर अनिल देशमुख ने कहा, वह अपनी पार्टी बना रहे हैं। उन्हें इसका विस्तार करने दीजिए। शरद पवार ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी में किसी भी नेता के संभावित प्रवेश पर निर्णय सामूहिक होगा, उन्होंने इस बात की पुष्टि करने से इनकार कर दिया कि अगर अजित पवार वापस लौटना चाहते हैं तो उन्हें शामिल किया जाएगा या नहीं। जुलाई 2023 में शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का विभाजन हुआ था, जब अजित पवार कुछ विधायकों को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार में शामिल हो गए थे। हाल के दिनों में अजित पवार खेमे में अशांति की अटकलें तब लगने लगीं जब उनके नेतृत्व वाली एनसीपी ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में जिन चार सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से तीन सीटें हार गईं।
राज्य सरकार पर भी जमकर बरसे अनिल देशमुख
नागपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, अनिल देशमुख ने गुरुवार को राज्य सरकार से उनके खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों की जांच करने वाले आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने को कहा और चेतावनी दी कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह अदालत जाएंगे। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार पर चांदीवाल आयोग की रिपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाए रखने का आरोप लगाया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उन्हें क्लीन चिट दी गई है। अनिल देशमुख कहा कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने उनके खिलाफ आरोप लगाए थे, जब वह राज्य के गृह मंत्री थे, जिसके बाद उन्होंने खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से जांच शुरू करने को कहा था। उन्होंने कहा कि राज्य ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश कैलाश चांदीवाल के नेतृत्व में एक आयोग का गठन किया था, जिसने दो साल पहले 11 महीने बाद 1,400 पन्नों की रिपोर्ट पेश की थी। बता दें ईडी ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में देशमुख को पहली बार नवंबर 2021 में गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने उन्हें औपचारिक रूप से अप्रैल 2022 में गिरफ्तार किया था। वह फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।