नई दिल्ली । दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीट पर बीजेपी के प्रत्याशियों ने भारी मतों से इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों को मात देकर तीसरी बार पार्टी के वर्चस्व को कायम रखने में सफलता हासिल की। इन सात में से उत्तर-पूर्वी दिल्ली से मनोज तिवारी एकमात्र ऐसे प्रत्याशी थे, जिन्हें बीजेपी ने लगातार तीसरी मौका दिया था और वे भी पार्टी के भरोसे पर सौ फीसदी खरा उतरने में कामयाब रहे। वहीं इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर बीजेपी के किले में सेंध मारी की पुरजोर कोशिश की थी। यही वजह है कि कांग्रेस ने उत्तरी-पूर्वी सीट से कन्हैया कुमार को उतारकर पूर्वांचली समेत युवाओं के वोट को साध मनोज तिवारी को मात देने की तैयारी की थी। लेकिन, कन्हैया और कांग्रेस दोनों ही इसमें विफल रहे। हालांकि, चुनाव प्रचार के दौरान कन्हैया कुमार की रैलियों और जनसभाओं में उमड़ी भारी भीड़ से कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को जीत की उम्मीद भी बंधी थी। लेकिन, वे उस भीड़ को वोट में तब्दील नहीं कर पाए। उत्तर-पूर्वी लोकसभा क्षेत्र के अंदर आने वाले 10 विधानसभा क्षेत्रों में से चार में कन्हैया कुमार का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा और यहां पर बढ़त बना कर वे मनोज तिवारी पर भारी भी पड़ते नजर आए, लेकिन यह बढ़त उतनी बड़ी नहीं थी जो मनोज तिवारी को मात देने में कारगर हो पाती। क्योंकि, उन चार विधानसभा सीमापुरी, सीलमपुर, बाबरपुर और मुस्तफाबाद में कन्हैया कुमार से पिछड़ने के बावजूद मनोज तिवारी बाकी छह विधानसभा क्षेत्रों में भारी मत प्राप्त करने में रहे। इनमें चार विधानसभा क्षेत्रों में मनोज तिवारी ने इतनी बढ़त हासिल कर ली, जो कन्हैया कुमार के हार की वजह बनी। मतगणना के आंकड़ों से ये भी साफ है कि मनोज तिवारी अपने परंपरागत इलाकों में पकड़ कायम रखने में कामयाब रहे। वहीं कन्हैया कुमार के लिए इस चुनाव में एक मात्र उपलब्धि यह रही कि वे दिल्ली में कांग्रेस और आप के उम्मीदवारों में से अकेले ऐसे उम्मीदवार रहे, जिसने चार विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी पर बढ़त हासिल की। कन्हैया कुमार ने मनोज तिवारी को बुराड़ी जैसी सीट पर भी उतनी बढ़त नहीं लेने दी, जितनी 2019 में उन्हें मिली थी। पिछले लोकसभा चुनाव में मनोज तिवारी को एक लाख वोटों की बढ़त मिली थी, लेकिन इस बार ये कम होकर 70 हजार रह गई। इस बार भी बुराड़ी विधानसभा ही ऐसी है, जिसमें मनोज तिवारी को सबसे अधिक बढ़त मिली। इसके अलावा घोड़ा में भी मनोज तिवारी ने कन्हैया कुमार को 58 हजार और रोहतास नगर में 41 हजार से अधिक मतों से मात दी। कन्हैया कुमार को मिलने वाले वोटों की तो उन्हें सबसे अधिक बढ़त सीलमपुर विधानसभा क्षेत्र में मिली। इस सीट पर कन्हैया कुमार को 88 हजार से अधिक वोट मिले, जबकि मनजो तिवारी के हिस्से महज 37 हजार वोट आए। यही वजह है कि इस सीट पर कन्हैया कुमार को 51 हजार वोटों से बड़ी बढ़त मिली। इसके अलावा मुस्तफाबाद से 25 हजार, बाबरपुर में 15 हजार और सीमापुरी में लगभग 5 हजार वोटों की मामूली बढ़त लेने में कामयाब रहे। कन्हैया कुमार की हार की बड़ी वजह ये रही कि मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को छोड़कर उनकी पार्टी बाकी छह क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत नहीं कर सकी। वहीं, इस संसदीय क्षेत्र के विधानसभा चुनाव में जहां बीजेपी ने जीत हासिल की थी, वहां अभी भी उसका दबदबा बना हुआ है, जबकि जिन क्षेत्रों में आप के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी, वहां के मतदाताओं ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में अपना मत दिया।
दिल्ली के इतने विधानसभा क्षेत्रों में आगे थे कन्हैया कुमार फिर कहां भारी पड़ गए मनोज तिवारी
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